रवि शंकर शर्मा  की रिपोर्ट

चाचा बनाम भतीजे की जंग में चिराग फिलहाल वैधानिक रूप से पिछड़ गए हैं। बाबजूद उन्होंने हथियार नही डाला। इधर चाचा पशुपति पारस ने लोजपा तोड़कर केंद्रीय मंत्री का पद आसानी ने पा लिया, और फिलहाल उन्हें वैधानिक जीत मिल गई। हालाँकि चिराग स्थिति को समझ रहे हैं और इसलिए बंगले की लड़ाई अब बिहार के कोने कोने में आशीर्वाद यात्रा के रूप में दिखाई दे रही है। चिराग ये समझ चुके हैं कि राजनीति में जिसके साथ जनता है उसी के साथ सत्ता। और इसी वजह से वे आशीर्वाद यात्रा के दौरान अपने चाचा पशुपति पारस और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना कर रहे हैं। हालाँकि वे भाजपा या प्रधानमंत्री का विरोध करने से आज भी बच रहे हैं। अकेले रह जाने के बावजूद चिराग पासवान ने कभी भी प्रधानमंत्री की या भाजपा की आलोचना नही की है।

दरअसल ये पूरी यात्रा और आलोचना बंगले पर कब्जे को लेकर की जा रही है। चिराग समझ चुके हैं कि वे अकेले है और ऐसे में जनता की सहानुभूति ही उनकी ताकत है और इस सहानुभूति का फायदा उनके आशीर्वाद यात्रा में देखने को भी मिल रही है।  चिराग पासवान जहाँ भी जा रहे हैं भारी भीड़ उमड़ रही है। 

आज अपने आशीर्वाद यात्रा के क्रम में चिराग पासवान नालन्दा पहुँचे , नालंदा सीएम का गृह जिला है। यहाँ राजगीर जाकर गुरुद्वारा में पहले उन्होंने आशीर्वाद लिया फिर अम्बेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद सरकार की पोल पट्टी खोलने में लग गये। 

चिराग ने कहा - बिहार में एक भी काम बिना घूस के नही होता, साथ ही सात निश्चय को सबसे बड़ा भ्रष्टाचार की योजना भी कहा। ऐसा नही है कि चिराग का आरोप आधारहीन है। इससे कोई इनकार नही कर सकता कि सूबे में भ्रष्टाचार चरम पर है, चाहे वो कोई भी विभाग हो। चिराग जनसभाओं में ऐसी बातें बोलते हैं जो सीधे लोगों के दिलों तक पहुँचती है। और इसलिये उन्हें भारी जनसमर्थन मिल भी रहा है। 

आज चिराग जरूर अकेले हैं लेकिन उनकी भाषण शैली , सभाओं में उमड़ती भीड़ ये बताने के लिये काफी है कि आने वाले वक्त में वे बिहार में एक बड़ी राजनैतिक ताकत बनकर उभरेंगे!

हालाँकि बंगला किसका होगा ये मामला अबतक विचाराधीन है। अब जब पशुपति पारस गुट की जनसभा होगी तो इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकेगा कि बंगले का असली उत्तराधिकारी आखिर कौन है? और चिराग इस भीड़ को वोट में कितना बदल पाते हैं? इन दोनों प्रश्नों के वैधानिक उत्तर वक़्त के साथ मिलेंगे। लेकिन चिराग की आवाज और उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ ने ये साफ कर दिया है कि बंगले का उत्तराधिकारी अभी भी चिराग पासवान ही हैं!

हालाँकि पारस गुट ने प्रदेश की कमान सांसद प्रिंस राज को सौंपकर सभी जिले में संगठन का विस्तार भी कर लिया है। पर जनता किसके साथ है ये प्रश्न पारस गुट को भी परेशान कर रहा है।

चिराग पासवान अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैली का उपयोग कर रहे हैं, यानी लोग जिस बात से परेशान हैं उसी बात का जिक्र कर रहे हैं, यही कारण है कि उनकी सभाओं में भीड़ कम नही हो रही है। 



 


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